Many a times, males think that their females won’t step up to support them and it’s always just the duty of the male to fulfil everything that the female asks for.
But, being a single female in 30s, I promise everyone reading this, that it’s not the case.
We, females are waiting for the right man to come in, step into his shoes of “healed masculinity” so that…(as Nayab Midha rightly puts it)…..
वो जो सबको खुश रखता हैं मुझे उसको हँसाना हैं...
देने हैं तोहफ़े करनी हैं बातें
और फिर बीच बातों के उसको गलें लगाना हैं
मुझे उसकी हर मुसीबत में उसके आगे आना हैं
वो हैं साथ मेरे हैं मुझे मालूम पर जीवनसाथी को क्या हैं खबर
की सारी दौलतें शौहरतें एक तरफ़ मेरा तो वो ही ख़ज़ाना हैं…
So men, step up, help us pull our guards down, because when you step in your masculinity, we can comfortably turn to our feminine energy.
This poem is for every such male who needs this assurance, validation and affection!!
Trust me, we have your back! You just need to give us confidence that you are the one!
आप जैसे हो बस वैसे ही रहो
मैं सम्भाल लूँगी…
मेरा हाथ पकड़ कर रखना
बाक़ी मैं सम्भाल लूँगी…
बस आप मुस्कुराते रहना
और सब मैं सम्भाल लूँगी…
संभलते सँभालते कभी कभी उस मुस्कान
के पीछे आपका दुख भी जान लूँगी…
अगर बातें कम होने लगी तो मैं समझ जाऊँगी
उस खामोशी के पीछे का कारण
और उन फ़ासलो को भी पहचान लूँगी…
ग़लतफ़हमियों को आप एक ही बार में कह देना
भूल कर भी ख़ुद के जवाब ख़ुद मत ढूँढना
अगर आपको सपनों के पीछे तेज़ दौड़ने का मन हो
तो मैं आपको नहीं रोकूँगी
जाने दूँगी, जब आपको जाना होगा…
इश्क़ हैं ना आपसे
तो आपको बदल कर मुझे क्या फ़ायदा…
इसलिए आप जैसे हो बस वैसे ही रहो
बाक़ी मैं सब सम्भाल लूँगी…
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