सुनो
कुछ समय रुक जाते हैं ना….
हर वक़्त भागना ज़रूरी हैं क्या…
कुछ समय किताबों में आँख सेकते हैं ना…
हर वक़्त फ़ोन पर उँगलियाँ चलाना ज़रूरी हैं क्या….
कुछ समय भविष्य से डरते हैं ना….
हर सवालो के जवाब जानना ज़रूरी हैं क्या….
कुछ समय अंधेरे में डरते हुए चलते हैं ना….
हर वक़्त रोशनी में आँख भींचना ज़रूरी हैं क्या…
क्या ज़रूरी हैं क्या नहीं….कौन बताता हैं ये….
हम ख़ुद? समाज ? या हमारा अतीत….
जो भी हो, इन सब को चुप करा देते हैं ना….
हर वक़्त सुनना ज़रूरी हैं क्या…..
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